रिक्शा चालक का बेटा आर्चरी में रोशन कर रहा है नाम
- सफलता की किताब ढूंढने वाले पढ़ें देवांश के किस्से
कानपुर: खेलों की बात करें तो लोगों को क्रिकेट का ही एकमात्र समुंदर दिखाई देता है। इसके बीच शहर के एक तीरंदाज की छोटी सी नौका भी तैर रही है। आमतौर पर तीरंदाजी ऐसा खेल है जिसमें स्थानीय स्तर पर कम खिलाड़ी ही दिखाई देते हैं। कम खेले जाने वाले इस खेल का एक खिलाड़ी ऐसा भी है जिसने धूल में फूल खिलाने की कोशिश की है। ई रिक्शा चालक अरविंद तिवारी का पुत्र देवांश तिवारी इस खेल में अभावों के बावजूद भी आगे बढ़ रहा है। शुरुआती बाधाएं भी उसने पार कर ली हैं। अब उसे बड़ी प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए 2.5 लाख रुपये के धनुष की जरूरत है। इसके लिए जनप्रतिनिधियों और मंत्री से गुहार लगाई गई है लेकिन कोई मदद नहीं मिली।
नौबस्ता मछरिया निवासी ई रिक्शा चालक अरविंद तिवारी के पुत्र देवांश ने बताया कि जब वह कमला मेमोरियल स्कूल में कक्षा तीन में पढ़ता था तो वहां पर बच्चों को आर्चरी सिखाई जाती थी। उन्हें खेलता देखकर मुझे भी शौक चढ़ा और घर में इच्छा जाहिर की, मगर घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। इस कारण मुझे मना कर दिया गया। एक दिन कोच संदीप पासवान की एकेडमी में कैंप लगा था। यह खबर अखबारों में पढ़कर मां पूजा ने मुझे वहां भेजा। पांच दिन के कैंप के बाद एकेडमी के कोच संदीप पासवान ने मुझे एक धनुष खरीद कर दिया और मैं उनकी एकेडमी में ही अभ्यास करने लगा। मैंने एक साल में कई प्रतियोगिता में भाग लेकर पदक जीते। मई 2018 में सोनभद्र्र स्थित सरकारी आर्चरी हॉस्टल में ट्रायल दिया। कानपुर से एकमात्र खिलाड़ी के रूप में मेरा चयन हो गया। देवांश कहते हैं कि अब उसे रिकरव राउंड व कंपाउंड राउंड खेलना है। इसके लिए ढाई लाख रुपये के धनुष की जरूरत है। इसके लिए शहर के जनप्रतिनिधियों से लेकर खेल मंत्री चेतन चौहान तक के दरवाजे खटखटा चुका हूं। हर जगह से मुझे निराशा ही हाथ लगी।
ऑपरेशन भी हो चुका…
देवांश की मां पूजा तिवारी ने बताया कि जब बेटा पैदा हुआ तो घर में खुशी की लहर दौड़ गई। मगर जब डॉक्टर ने बताया कि बेटे के दिल में छेद है तो सभी लोग दुखी हो गए। फिर भी हम लोगों ने हार नहीं मानी। भगवान पर भरोसा रखा और शहर के कई चिकित्सकों को दिखाने के बाद उनसे सलाह ली। जब देवांश तीन साल का था तभी डॉक्टरों से परामर्श कर उसका ऑपरेशन कराया और आज वह स्वस्थ है।
ऐसा रहा सफर
– अप्रैल 2017 में किदवई नगर स्थित यूथ आर्चरी एकेडमी में अभ्यास शुरू किया।
– अभ्यास शुरू होने के 15 दिनों बाद ही मंडल स्तर प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया।
– अक्तूबर 2017 में जूनियर डिस्ट्रिक प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त किया।
– नवंबर 2017 में मेरठ में हुई राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में आठवां स्थान प्राप्त किया।
– नवंबर 2017 में कानपुर में हुई जूनियर डिस्ट्रिक प्रतियोगिता में तीसरा स्थान मिला।
– नवंबर 2017 में मथुरा में हुई जूनियर स्टेट चैंपियनशिप में 250 बच्चों में आठवीं रैंक प्राप्त की।
– जनवरी 2018 में कानपुर में हुई इंडोर आर्चरी स्टेट प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त किया।
– 15 मई 2018 को सोनभद्र स्थित सरकारी आर्चरी एकेडमी में प्रवेश मिला।
– अगस्त 2018 में सोनभद्र में हुई जूनियर मंडल प्रतियोगिता में पहला स्थान स्थान प्राप्त किया।
– सितंबर 2018 में बागपत में हुई सब जूनियर राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में 250 बच्चों में आठवां स्थान मिला।
– अक्तूबर 2018 में चंदौली में हुई जूनियर स्कूल राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भी 260 बच्चों में सातवां स्थान मिला।